Khanqah e Aaliya Golra Sharif ki Wazahat..
Hum Molvi Ashraf Jalali or Molvi Muzaffar Shah ki purzor muzammat karte hai..
*समझ ले तेरी अज़मत को अगर ये अर्श का गुम्बद*
*तो झुक कर चूम ले वो तेरी तुर्बत फ़ातिमा_ज़हरा…*
*किसी का बाप भी जन्नत में दाखिल हो नही सकता*
*न दें बेटे अगर तेरे इज़ाज़त फ़ातिमा_ज़हरा….*
*सय्यदा तय्यबा ताहिरा उम्मे अबीहा ख़ातून ए जन्नत* *सय्यदुन्निसा सय्यदा फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्ला अलैहा*
की शान में गुस्ताखी करने वाले
की मज़म्मत करता हूँ
खुदा की लानत हो मलाऊन आसिफ जलाली पर
*रसूल ए करीम صلى الله عليه وعلى آله وسل और उनकी अहलेबैत मासूम हैं और उनके लिए खता का तसव्वुर भी हराम है.!*